विशेषण – विशेषण की परिभाषा,परिभाषा, भेद और उदाहरण

1. परिचय

हिंदी व्याकरण में विशेषण एक महत्वपूर्ण शब्द भेद है। यह संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को दर्शाता है और उसे अधिक स्पष्ट व प्रभावशाली बनाता है। विशेषण के प्रयोग से वाक्य का अर्थ विस्तृत और स्पष्ट होता है, जिससे संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, संख्या, परिमाण आदि का सही ज्ञान प्राप्त होता है।

2. विशेषण की परिभाषा

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। विशेषण किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की गुणवत्ता, संख्या, परिमाण या स्थिति को दर्शाते हैं।

उदाहरण:

  • सुंदर लड़की गाना गा रही है। (यहाँ “सुंदर” लड़की की विशेषता बता रहा है।)
  • चार विद्यार्थी कक्षा में बैठे हैं। (“चार” संख्या को दर्शा रहा है।)

3. विशेषण के भेद

विशेषण मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:

(1) गुणवाचक विशेषण

जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की गुणवत्ता या विशेषता बताते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। ये शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के गुण, रंग, आकार, स्थिति आदि को दर्शाते हैं।

उदाहरण:

  • यह मीठा आम है।
  • वह ईमानदार आदमी है।
  • आसमान नीला है।

(2) संख्यावाचक विशेषण

जो विशेषण किसी संज्ञा की संख्या या क्रम को बताते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं:

  1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण – जो स्पष्ट संख्या बताते हैं।
    उदाहरण:
    • मैंने तीन किताबें पढ़ीं।
    • परीक्षा में पाँच प्रश्न आए।
  2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – जो किसी निश्चित संख्या को न बताकर अनिश्चितता प्रकट करते हैं।
    उदाहरण:
    • यहाँ कुछ लोग खड़े हैं।
    • मुझे कई फूल पसंद हैं।
  3. क्रमवाचक विशेषण – जो क्रम को प्रकट करते हैं।
    उदाहरण:
    • यह मेरी पहली परीक्षा है।
    • वह दौड़ में तीसरे स्थान पर आया।

(3) परिमाणवाचक विशेषण

जो विशेषण किसी संज्ञा के परिमाण (मात्रा) को प्रकट करते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। यह विशेषण आमतौर पर अगणनीय संज्ञाओं के साथ प्रयुक्त होते हैं।

उदाहरण:

  • मेरे पास थोड़ा पानी बचा है।
  • उसने भोजन में कुछ चावल खाए।
  • तुम्हें पूरा पाठ याद करना होगा।

(4) सर्वनामिक विशेषण

जो विशेषण संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें सर्वनामिक विशेषण कहते हैं। यह संज्ञा की विशेषता को दर्शाते हैं लेकिन स्वयं संज्ञा नहीं होते।

उदाहरण:

  • मेरा घर बहुत बड़ा है।
  • इस पुस्तक को पढ़ो।
  • कोई व्यक्ति बाहर खड़ा है।

4. विशेषण के उदाहरण सहित विवरण

प्रत्येक विशेषण के कुछ अतिरिक्त उदाहरण निम्नलिखित हैं:

विशेषण का प्रकारउदाहरण
गुणवाचक विशेषणहरी घास, लंबा आदमी, सुगंधित फूल
संख्यावाचक विशेषणसात घोड़े, कुछ विद्यार्थी, पहला स्थान
परिमाणवाचक विशेषणअधिक पानी, थोड़ा दूध, पर्याप्त भोजन
सर्वनामिक विशेषणतुम्हारी किताब, उसका बैग, यह रास्ता

5. विशेषण और संज्ञा में अंतर

विशेषण और संज्ञा के बीच स्पष्ट अंतर होता है।

विशेषणसंज्ञा
यह संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।यह किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु का नाम होता है।
यह अकेले अर्थपूर्ण नहीं होता।यह अकेले भी अर्थपूर्ण होता है।
उदाहरण: अच्छा लड़का, तेज घोड़ाउदाहरण: लड़का, घोड़ा

6. निष्कर्ष

विशेषण हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, संख्या या परिमाण को दर्शाता है। इसके प्रयोग से वाक्य अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली बनता है। विशेषणों के सही उपयोग से भाषा में सौंदर्य और अभिव्यक्ति की सटीकता आती है।

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