मैला आँचल में आँचलिकता का वैशिष्ट्य | फणीश्वरनाथ रेणु का साहित्यिक योगदान

भूमिका

हिंदी साहित्य में आँचलिकता का विशेष स्थान है। आँचलिक उपन्यासों में किसी विशिष्ट क्षेत्र की भाषा, संस्कृति, रहन-सहन और परंपराओं का सूक्ष्म चित्रण किया जाता है। फणीश्वरनाथ रेणु का ‘मैला आँचल’ (1954) हिंदी साहित्य का एक ऐसा उपन्यास है जिसने आँचलिकता को व्यापक पहचान दी। यह उपन्यास बिहार के पूर्णिया जिले के ग्रामीण परिवेश को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।

रेणु ने ग्रामीण समाज की भावनाओं, समस्याओं और संघर्षों को सजीव भाषा शैली में उकेरा है। इस लेख में हम आँचलिकता के परिप्रेक्ष्य में ‘मैला आँचल’ की विशेषताओं का विश्लेषण करेंगे और यह जानेंगे कि इस उपन्यास ने किस प्रकार हिंदी साहित्य में नया आयाम जोड़ा।


1. आँचलिकता की परिभाषा और ‘मैला आँचल’ में इसका प्रयोग

आँचलिकता का तात्पर्य किसी विशिष्ट क्षेत्र की भाषा, रीति-रिवाज, परंपराएँ, सामाजिक व्यवस्था और स्थानीय जीवनशैली के वास्तविक चित्रण से है। हिंदी साहित्य में यह प्रवृत्ति प्रेमचंद के उपन्यासों से आरंभ हुई, लेकिन इसे पूर्ण विकसित स्वरूप फणीश्वरनाथ रेणु के ‘मैला आँचल’ ने प्रदान किया।

इस उपन्यास में रेणु ने बिहार के पूर्णिया क्षेत्र के ग्रामीण समाज को न केवल यथार्थवादी दृष्टि से प्रस्तुत किया, बल्कि वहाँ की बोली, लोकगीत, त्योहारों और दैनिक जीवन के संघर्षों को भी बारीकी से उकेरा। उदाहरण के लिए, उपन्यास के पात्र भोला मुँछिया, बदरी महतो, कमली, डॉ. प्रशांत आदि अपनी बोली में संवाद करते हैं, जिससे पाठकों को उस क्षेत्र की मौलिकता और आत्मीयता का अनुभव होता है।


2. भाषा और शैली: सरल, सहज एवं स्थानीयता से परिपूर्ण

‘मैला आँचल’ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी भाषा और शैली है। उपन्यास में मिथिलांचल और भोजपुरी मिश्रित हिंदी का प्रयोग किया गया है, जिससे पाठकों को ग्रामीण जीवन की वास्तविकता महसूस होती है।

उदाहरण के लिए, उपन्यास में निम्नलिखित संवाद देखिए:
“का हो, भोला! घर पर सब कुशल मंगल?”
“ई लइका डॉक्टर बाबू त बड़ा अच्छा आदमी हवे।”

इस प्रकार की सहज भाषा उपन्यास की आँचलिकता को प्रमाणित करती है। रेणु ने वर्णनात्मक शैली में विवरण प्रस्तुत किए हैं जिससे पाठक स्वयं को उस वातावरण का हिस्सा महसूस करता है।


3. ग्रामीण समाज की सजीव झलक

‘मैला आँचल’ में भारतीय ग्रामीण समाज की वास्तविक झलक प्रस्तुत की गई है। इस उपन्यास में किसानों की समस्याएँ, जातिवाद, जमींदारी प्रथा, गरीबी, अंधविश्वास और सामाजिक विषमताओं को बखूबी दिखाया गया है।

डॉ. प्रशांत, जो कि उपन्यास के प्रमुख पात्र हैं, एक आदर्शवादी डॉक्टर हैं जो गाँव में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं, लेकिन समाज की रूढ़ियों और राजनीति के जाल में फँस जाते हैं। यह ग्रामीण भारत की उस मानसिकता को दर्शाता है जो परिवर्तन की राह में सबसे बड़ी बाधा बनती है।


4. सामाजिक और राजनीतिक चेतना

‘मैला आँचल’ सिर्फ आँचलिक उपन्यास ही नहीं, बल्कि यह समाज और राजनीति का भी दस्तावेज है। इस उपन्यास में स्वतंत्रता संग्राम, कांग्रेस और समाजवाद जैसी विचारधाराओं का चित्रण मिलता है।

रेणु ने गाँव में राजनीति के प्रवेश और आम जनता पर उसके प्रभाव को बारीकी से दर्शाया है। उपन्यास में दर्शाया गया है कि किस प्रकार सत्ता और धन के खेल में गरीब और किसानों का शोषण होता है।


5. लोकसंस्कृति और परंपराओं का प्रभाव

इस उपन्यास की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसकी लोकसंस्कृति और परंपराओं का सजीव चित्रण है। उपन्यास में गाँव के मेलों, पर्व-त्योहारों, लोकगीतों, रीति-रिवाजों और ग्रामीण जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं को अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

रेणु ने इसमें लोकगीतों, लोककथाओं और कहावतों का भी भरपूर प्रयोग किया है, जिससे कथा और अधिक प्रभावशाली हो जाती है। यह आँचलिकता की पहचान को मजबूत बनाता है।


निष्कर्ष:

‘मैला आँचल’ हिंदी साहित्य में आँचलिक उपन्यासों का पथप्रदर्शक है। यह उपन्यास केवल कहानी नहीं कहता, बल्कि समाज का आईना भी प्रस्तुत करता है।

रेणु ने इस उपन्यास के माध्यम से यह सिद्ध किया कि आँचलिकता केवल स्थान विशेष की पहचान नहीं होती, बल्कि यह भारतीय समाज की आत्मा का चित्रण है। इस उपन्यास ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और आगे आने वाले साहित्यकारों को आँचलिकता के प्रयोग के लिए प्रेरित किया।


FAQs:

1. ‘मैला आँचल’ को आँचलिक उपन्यास क्यों कहा जाता है?

इस उपन्यास में बिहार के पूर्णिया क्षेत्र की भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज और समाज का सजीव चित्रण किया गया है, जो इसे आँचलिक उपन्यास बनाता है।

2. फणीश्वरनाथ रेणु ने ‘मैला आँचल’ में कौन-कौन सी आँचलिक विशेषताएँ दर्शाईं?

उपन्यास में भाषा, लोकसंस्कृति, सामाजिक व्यवस्था, राजनीति, लोकगीत और पारंपरिक मान्यताओं को व्यापक रूप से दर्शाया गया है।

3. ‘मैला आँचल’ में मुख्य पात्र कौन हैं?

डॉ. प्रशांत, भोला मुँछिया, कमली, बदरी महतो, मैलादेवी, चुन्नी, चनरू, और अन्य ग्रामीण पात्र इस उपन्यास के मुख्य किरदार हैं।

4. ‘मैला आँचल’ की भाषा शैली किस प्रकार की है?

इसमें मिथिलांचल, भोजपुरी और हिंदी मिश्रित भाषा का प्रयोग किया गया है, जिससे यह अधिक प्रामाणिक और सजीव प्रतीत होता है।

5. क्या ‘मैला आँचल’ का हिंदी साहित्य पर कोई प्रभाव पड़ा?

हाँ, इस उपन्यास ने हिंदी साहित्य में आँचलिकता की धारा को मजबूत किया और इसे साहित्य की मुख्यधारा में स्थान दिलाया।


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