1770-1813 के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी के क्षेत्रीय विस्तार की प्रमुख घटनाएं क्या थीं?

ईस्ट इंडिया कंपनी का क्षेत्रीय विस्तार (1770-1813): विस्तार से अध्ययन

परिचय

1770-1813 का समय भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए क्षेत्रीय विस्तार का युग था। इस दौरान कंपनी ने अपनी सैन्य शक्ति और कूटनीति का उपयोग करते हुए भारत के बड़े हिस्से पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। यह विस्तार केवल सैन्य विजय तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें सहायक संधियां, प्रशासनिक सुधार, और स्थानीय शासकों के साथ संधियों का प्रमुख योगदान था।


ईस्ट इंडिया कंपनी के विस्तार के प्रमुख कारण

  1. सैन्य शक्ति का उपयोग
    • कंपनी ने आधुनिक हथियारों और प्रशिक्षित सैनिकों का उपयोग कर भारतीय राज्यों को पराजित किया।
    • वे धीरे-धीरे भारतीय राज्यों के बीच की आपसी फूट का लाभ उठाने में सफल रहे।
  2. सहायक संधि प्रणाली (Subsidiary Alliance)
    • यह नीति 1798 में लॉर्ड वेलेजली द्वारा शुरू की गई थी।
    • इसके तहत भारतीय राज्यों को अपनी सुरक्षा के लिए ब्रिटिश सेना का खर्च उठाना पड़ता था।
  3. डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स से पहले की तैयारी
    • कंपनी ने स्थानीय राजाओं की मृत्यु या कमजोर प्रशासन का लाभ उठाकर उनके क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
  4. आर्थिक शोषण और प्रशासनिक नियंत्रण
    • कंपनी ने राजस्व संग्रह का अधिकार प्राप्त कर स्थानीय शासकों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया।

प्रमुख घटनाएं (1770-1813)

1. पहला मराठा युद्ध (1775-1782)

  • अंग्रेजों और मराठों के बीच यह युद्ध मुख्य रूप से सत्ता के लिए हुआ।
  • अंततः सल्बाई की संधि (1782) के तहत अंग्रेजों और मराठों के बीच एक अस्थायी शांति स्थापित हुई।

2. रोहिल्ला युद्ध (1774)

  • कंपनी ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला की मदद की, जिसके बदले अंग्रेजों ने भारी धनराशि प्राप्त की।
  • यह युद्ध कंपनी की सैन्य शक्ति और स्थानीय शासकों के बीच गठबंधन का उदाहरण है।

3. मैसूर के खिलाफ एंग्लो-मैसूर युद्ध

  • तीसरा युद्ध (1790-1792):
    • कंपनी ने हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान को हराया।
    • श्रीरंगपट्टनम की संधि के तहत मैसूर का बड़ा हिस्सा कंपनी को मिला।
  • चौथा युद्ध (1799):
    • टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई, और मैसूर ब्रिटिश प्रभाव में आ गया।

4. सहायक संधि प्रणाली (Subsidiary Alliance)

  • यह नीति भारतीय राज्यों को अंग्रेजों के अधीन लाने में कारगर साबित हुई।
  • हैदराबाद, मैसूर, अवध, और मराठों सहित कई राज्यों ने इस नीति को अपनाया।

5. बंगाल में प्रशासनिक सुधार

  • 1793 में स्थायी बंदोबस्त प्रणाली लागू की गई।
  • इस प्रणाली ने किसानों और जमींदारों को कंपनी के अधीन कर दिया।

6. भारत में पहला औपचारिक जनगणना प्रयास (1800)

  • कंपनी ने भारत की जनसंख्या और अर्थव्यवस्था को समझने के लिए यह कदम उठाया।

7. मराठा संघ का पतन (1813 तक)

  • मराठा साम्राज्य की शक्ति कमजोर हो गई।
  • अंग्रेजों ने मराठा साम्राज्य के प्रमुख क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में ले लिया।

प्रभाव और परिणाम

  1. ब्रिटिश प्रभुत्व का विस्तार
    • 1813 तक कंपनी ने भारत के बड़े हिस्से पर अपना सीधा या परोक्ष नियंत्रण स्थापित कर लिया था।
  2. भारतीय राज्यों का पतन
    • मराठा, मैसूर, और अवध जैसे प्रमुख राज्यों की शक्ति समाप्त हो गई।
    • स्थानीय शासक ब्रिटिश सेना और प्रशासन पर निर्भर हो गए।
  3. आर्थिक शोषण
    • ब्रिटिश नीतियों के कारण भारतीय किसानों और कारीगरों का जीवन कठिन हो गया।
  4. राजनीतिक स्थिरता
    • अंग्रेजों ने भारत में एक केंद्रीकृत शासन प्रणाली स्थापित की।

FAQs: ईस्ट इंडिया कंपनी का विस्तार (1770-1813)

  1. ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1770-1813 के बीच कौन-कौन से क्षेत्र जीते?
    • बंगाल, बिहार, मैसूर, मराठा क्षेत्रों और अवध के बड़े हिस्से पर नियंत्रण किया।
  2. सहायक संधि प्रणाली क्या थी?
    • यह एक नीति थी जिसके तहत भारतीय राज्यों को अपनी सेना रखने की अनुमति नहीं थी, और उन्हें ब्रिटिश सेना का खर्च उठाना पड़ता था।
  3. मैसूर के खिलाफ कंपनी की सफलता का क्या कारण था?
    • कंपनी की आधुनिक सैन्य तकनीक और टीपू सुल्तान के खिलाफ अन्य राज्यों का समर्थन।
  4. मराठा संघ का पतन कैसे हुआ?
    • मराठा संघ की आपसी फूट और अंग्रेजों की कूटनीतिक नीतियों के कारण।
  5. ईस्ट इंडिया कंपनी का 1813 तक भारत में कितना क्षेत्रीय नियंत्रण था?
    • लगभग पूरा उत्तर भारत, दक्षिण भारत के प्रमुख राज्य, और बंगाल-बिहार-उड़ीसा।

निष्कर्ष

1770-1813 के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया। यह अवधि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की वास्तविक नींव रखने का युग थी। कंपनी की नीतियों ने भारतीय राज्यों को कमजोर किया और औपनिवेशिक शोषण का रास्ता तैयार किया। छात्रों के लिए यह विषय औपनिवेशिक भारत के विस्तार और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को समझने में अत्यंत उपयोगी है।

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